राष्ट्रपिता के नमक आंदोलन के 4 वर्ष पूर्व अपने घोषणा की थी कि पचपदरा में नमक उत्पादन बंद नहीं किया जा सकता इस समय आपने आंदोलन किया हड़ताल ए करवाई फिरंगी ओ की स्वास्थ्य नीति का भंडाफोड़ किया बारी आर्थिक हानि की परिवहन अप करते हुए देसी नमक को आयातित नमक की स्पर्धा में कोलकाता के बाजार में पहली बार प्रस्तुत किया कारावास अथवा देश निकाले की परवाह न करते हुए भारत की नमक उत्पादन क्षमता को ट्रैफिक बोर्ड साल्ट सर्वे कमेटी इत्यादि के सम्मुख प्रस्तुत किया दिल्ली के लॉजिस्टिक असेंबली में भारत के उपेक्षित प्रदेश में पड़े पचपदरा के नाम को गुन्नू आया और अंत में ना केवल विश्व के उस महान साम्राज्यवादी सता को अपना निर्णय बदलने पर मजबूर किया पर साथ ही राष्ट्रपिता को आंदोलन हेतु विशेष प्रदान किया जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक स्वर्णिम पृष्ठ बना।
1926-27 विदेशी नमक की स्पर्धा में जहाज से नमक कोलकाता ले जाना
1925-33 श्री नाकोडा पार्श्वनाथ जैन तीर्थ की समिति में प्रथम उपाध्यक्ष व तत्पश्चात दो सत्र अध्यक्ष
1936 कुशलाश्रम छात्रावास की स्थापना
स्टेट में एडगर पी.पी डब्ल्यू डी. मिनिस्टर के सम्मुख प्रस्ताव गया लेकिन एडगर द्वारा लाल रेखा अंकित की टिप्पणी की योजना अत्यंत खर्चीली है इस पर सेठ जी ने अपनी ओर से इसके बैंक के रूप में तीन प्रस्ताव प्रस्तुत किए योजना की स्वीकृति हेतु कागजात रेलवे बोर्ड भेजे गए सेठ जी ने दिल्ली में सिमला पहुंचकर कागजात शीघ्र निकालने हेतु प्रयास किए। इसके पश्चात मामला पुन स्टेट काउंसिल में व्यय की बजट स्वीकृति हेतु पहुंचा।इस बार फिर एडगर करने स्पष्ट आपत्ति उठाते योजना को और अलाभकारी बताया। इस पर सेठ जी ने अत्यंत साहसी इतिहास में और द्वितीय ऐसा कदम उठाया आपने चीफ मिनिस्टर को लिखकर कि यदि संपूर्ण पूंजीगत रांची का ब्याज 16 साल में वस्तु ना हो तो स्टेट सेठ जी की व्यक्तिगत संपत्ति से उसे वसूल कर सकती है और इस हेतु आवश्यक बांड सेठजी ने लिखकर दे दिया। स्टेट कोन्सिल मे यह जमानतनामा प्रस्तुत होते ही योजना को स्वीकृति मिल गई। और कार्य प्रारंभ हो गया। सार्वजनिक कार्य हेतु अपनी संपत्ति गिरवी रखने का भारतवर्ष में यह एकमात्र अभूतपूर्व तथा ऐतिहासिक उदाहरण था। इस लाइन के प्रारंभ होने पर सन 1940 में डीएम फील्ड मुख्यमंत्री का स्वागत अत्यंत उत्साह से किया गया रेल के प्रारंभ में पचपदरा बालोतरा की टिकट केवल दो आना थी फिर भी सेठ जी का रोजाना अपनी ओर से अनेक लोगों को टिकट देखकर बालोतरा जाने हेतु प्रोत्साहित करते इस अद्वितीय कार्य हेतु जन-जन इस गाड़ी को गुलाबी गाड़ी के नाम से पुकारता था।
1938-39 सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड की सदस्यता लोक नायक जय नारायण व्यास के अनन्य साथी सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड में व्यास जी को पूरा समर्थन दिया पचपदरा में लोक परिषद की स्थापना की व्यास जी को देश निकाला होने पर 4 दिन तक अपने घर पर आश्रय दिया।
1941 सांभरा मे कराची मे नमक कारोबार
1942 समस्त भारत में एक दर से नमक बेचने के केंद्रीय सरकार को योजना प्रस्तुत करना।
1943 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध 20 वर्ष तक बाड़मेर जिला संघचालक रहे
1946 कुशलाश्रम विद्यालय की स्थापना
1948-51 पचपदरा से हुकूमत हटाने के विरुद्ध आंदोलन व तहसील भवन हेतु प्रयत्न
हाकिम द्वारा रात में हुकुम का सामान उठकर जाने लगा तो आपने लोगों के साथ ट्रकों के आगे सोकर आंदोलन शुरू किया अनेक प्रयत्न कर सरकारी आदेशों को स्थगित करवाया इसके स्थाई हल हेतु तहसील भवन के निर्माण की स्वीकृति प्रयत्न करके राजस्थान सरकार के आदेश प्राप्त किया तहसील भवन के बनते बनते सन 1954 में तत्कालीन मिनिस्टर श्री भोलानाथ के मौखिक आ गया देख कर बाड़मेर प्रवास के समय काम रुकवाने का आदेश दिया तब पुनः तीव्रता से एक आंदोलन का रूप देकर समस्या को उठाया प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई प्रतिनिधिमंडल लेकर गए तब से श्री जय नारायण व्यास जी जो उस समय मुख्यमंत्री थे आ गया देख कर इस विषय को सदा के लिए समाप्त किया और भवन का निर्माण पूर्ण हुआ।
1954 असेंबली में पचपदरा की पानी की समस्या उठाना
1956 पचपदरा कियोजना हेतु प्रयत्न
1957 सेठ जी के पुत्रों द्वारा 1957 में नीलकंड केमिकल वर्कर फैक्ट्री की बाड़मेर में स्थापना। यह जिले का प्रथम खनिज आधारित बेंटोनाइट उद्योग था तत्पश्चात आकली मे बेंटोनाइट की तथा खूब में चली नाइट की प्लीज राजस्थान सरकार से विकृत व जोधपुर में प्लास्टर फैक्ट्री की स्थापना की।
1961 बिठूजा से मीठे पानी का प्रथम बहाव पचपदरा पहुंचा सेठ जी के इस भागीरथी प्रयास के अवसर पर तत्कालीन जिलाधीश श्री कैलाश दान जी की उज्जवल इस योजना का उद्घाटन किया तथा इस अवसर पर क्षेत्र जी का नगर में अभूतपूर्व स्वागत व शोभा यात्रा निकाली गई।
1962 ओसवाल समाज में विवाद ग्रस्त कन्या के संबंध में रुचि लेकर कन्या विवाह करवाया कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन एवं कन्या विद्यालय की स्थापना करना समाज में अनेक रूढ़ीवादी परंपराओं को दूर करवाने में अग्रणी रहे।
1965 बाड़मेर में डिग्री कॉलेज हेतु प्रयत्न शिक्षा को पैसों से न तोलकर सिवाना बालोतरा के बदले जिला मुख्यालय पर आवश्यकता हेतु घर-घर से धन संग्रह व भवन बनवाया
1971 जैन क्रिया भवनवा देरासर ट्रस्ट कमेटी के चेयरमैन
1979 स्वर्गवास। स्वर्गीय श्री सेठ गुलाब चंद जी सालेचा परिवार
सेठ श्री गुलाब चंद जी के दादा श्री सहारन कमल जी ने विभिन्न दस्तावेजों के अनुसार लगभग ₹500000 राज्य को उतार दिया था जो जी साले की देखरेख में आबू में किसी ब्रिटिश सरकार हेतु सरकारी अदायगी मैं गया था उस जमाने में ऐसी हैसियत रखने वाले पूरे मारवाड़ में बहुत कमी महाजन थे श्री सारंग मल जी व उनके पुत्र हजारीमल जी ने सोने की तलवार धारण करते थे उन्हें राज्य सेठ के पद में दी थी सोने का कंदोरा पहनते थे वह दरबार में उन्हें कुर्सी पर बैठने का अधिकार था उस समय जमाने मैं मिलने वाला राज्य का बड़ा सम्मान था जो बड़े जागीरदारों के सिवाय अन्य लोगों को साधारणतया उपलब्ध नहीं था।
श्री सागरमल जी ने स्वर्गवास के समय हजारीमल जीत मात्रा 4 वर्ष के थे सारे कोमल जी ने तीन विवाह किए थे उनके देहावसान के समय अपने पीछे दो विधवाओं को छोड़ गए थे दोनों सेठानी यों के आपसी विवाद में राज्य की ओर से संपत्ति की व्यवस्था को लेकर नाबालिक महकमे में अंतर्गत लेने के काम आए थे पर यह हजारीमल जीने की माता ने स्वयं तलवार लेकर ललकार कर अपनी हवेली में सरकारी लोगों को घुसने रोका था यह घटना भी परिवार के प्रभाव और संपन्नता को प्रदर्शित करती है सेठ हजारीमल जी ने अपने समय के नामी रईस गिने जाते थे अनेक घोड़े ऊंट नौकर साथ रहते थे इस परिवार की दोनों तरफ बनी फूलों से युक्त हवेलियों घोड़ों और ऊंटों के ठाण शस्त्रागार मेरा के भालो तलवारों बंदूकों पिस्तौल तथा तोपों का होना प्रदर्शित करता है किनका वैभव और धात बड़े-बड़े जागीरदारों से भी उची थी। बाहर जाने पर वे जागीरदारों या हकीमो के यहां थर्ड से थे क्योंकि सामान्य लोगों का उनका यहां ठाट बाट निभाना नहीं आता था।
इस सभी ठाट के बावजूद पुत्र होने के कारण उन्हें दूसरी शादी करनी पड़ी 1915 में सेठ हजारीमल जी की निसंतान स्वर्गवासी हुए उनके देहांत के कारण उनके पीछे पुत्र गोद लेने का पर्स ना खड़ा हुआ जोधपुर के लाला हरीश चंद्र जी माथुर के पितामह श्री चतुर्भुज जी माथुर उस समय पचपदरा में हातिम सेवा क्षेत्र हजारीमल जी के राखी बंद भाई भी थे अंत गोद लेने हेतु जो कोई लड़का आता है उसे चतुर्भुजी पदक के अनेक लड़के मजल सांडेराव बालोतरा जसोल बा पचपदरा के उन्हें दिखाएं पर उन्होंने सभी को अस्वीकृत कर दिया उन्हें सेट हजारीमल जी के प्राण प्रतिष्ठा बनाए रखने योग्य लड़का प्रतीत नहीं हुआ तत्पश्चात मध्य प्रदेश 1916 में प्लेन की चपेट में आ गया था उस समय धन सुख दास जी सागर में रहते थे वह उनके छोटे पुत्र गुलाब चंद जी भोपाल में खजांची के पद पर थे परिवार के सभी सदस्य निर्णय किया कि गांवों में जाने के बजाय सारा परिवार तीर्थ यात्रा करने चलें यह परिवार तीर्थाटन करते हुए सभी आत्मीय जनों से मिलने पुनः 50 वर्ष बाद पचपदरा आए।
श्री चतुर्भुज जी से धन सुख दास जी का गुलाब चंद जी मिलने और प्रथम साक्षात्कार में ही चतुर्भुज जी व गुलाब चंद जी ने अपने व्यक्तित्व की छाप लगा दी 1 माह पश्चात् जब धन सुख दास जी रवाना होने लगे तो हजारीमल जी के घर से उन्हें दो-तीन दिन तक रुकने का आग्रह किया उसी अंतराल में गुलाब चंद जी को गोद लेने का निर्णय कर लिया।
मध्यप्रदेश में परपे पले व्यक्ति को मारवाड़ के पचपदरा नगर में भाग्य ले आया और उसने 60 वर्ष तक अध्ययन प्रगतिशील पुरुषार्थी जीवन बिताया पचपदरा ही ने संपूर्ण मारवाड़ को एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक व सामाजिक जनसेवक के रूप में अपनी अमित छाप छोड़ इतिहास पुरुष के लाए।
सेठ जी की धर्मपत्नी स्वर्गीय श्रीमती केसरी देवी एक अत्यंत व विदूषी व सात्विक विचारों की महिला थी जिन्होंने आयु भर सेठ जी के कार्यों को प्रोत्साहन दिया।
स्वर्गीय सेठ गुलाब सिंह जी सालेचा के 4 पुत्र लक्ष्मी चंद्र जी अमित चंद जी चंपालाल जी वाह छगन लाल जी तथा चार पुत्रियों का परिवार रहा जिसमें वर्तमान में छगन लाल जी सालेचा जोधपुर निवास कर रहे हैं।